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इंदौर आए कैलाश खेर: नया गाना ‘चलो कुंभ चले’ गाकर सुनाया, बोले- मध्यप्रदेश संस्कृति से भीगा हुआ

इंदौर की धरती और पूरा मध्यप्रदेश, जिसे मैं ‘कल्चरल स्टेट’ कहता हूं, यह संस्कृति से भीगा हुआ है। यहां की मानवता और संस्कारिता अलग दिखती है।
यह बात मशहूर गायक कैलाश खेर ने गुरुवार को कही। पद्मश्री गायक कैलाश खेर इंदौर आए, जहां उन्होंने मीडिया से बातचीत की। दरअसल, खेर का महाराष्ट्र में एक कॉन्सर्ट है, जिसके लिए वे फ्लाइट से इंदौर पहुंचे और यहां से बाय रोड महाराष्ट्र के लिए रवाना हुए।

इंदौर में खेर ने कहा, “महाकुंभ संगम” हमारा नया गाना है, जो हर जगह ट्रेंड कर रहा है। उन्होंने कहा, “संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं है, यह लोगों के हृदय और मन को बदलने की ताकत रखता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि संगीत ध्यानस्थ रखने और दुखों में सहारा देने का माध्यम है।

महाकुंभ यात्रा पर विचार

कैलाश खेर ने अपने नए गाने “चलो कुंभ चले, चलो कुंभ चले” को गाकर सुनाया। उन्होंने कहा, “महाकुंभ की यात्रा विशेष इसलिए है क्योंकि जब हमारे ग्रह विशेष स्थिति में होते हैं और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तो ऊर्जा का विशेष संचार होता है। यह ऊर्जा न केवल शरीर के लिए, बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा को संतुलित करती है। गंगाजी और यमुनाजी भी इस ऊर्जा से चार्ज होती हैं, और उसमें डुबकी लगाकर आप शुद्ध हो जाते हैं।”

भारत की संस्कृति का महत्त्व

कैलाश खेर ने कहा, “हमारी परंपरा हमें स्नान, ध्यान, अनुष्ठान और दान जैसे कार्यों से जोड़ती है। इस बार का महाकुंभ 144 साल बाद आ रहा है, जो इसे और विशेष बनाता है।” उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है क्योंकि यह देश भाग्य और सौभाग्य के लिए जाना जाता है।

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